-23, 24 नवंबर के धरने के लिए -----------
मेरी कलम से दो शब्द कविता के माध्यम से -------------------
दिल्ली में कुछ दिखलाना है,
जन्तर मन्तर पर छाना है,
उत्तर प्रदेश की थाह लगी,
अब दिल्ली की थाह लगाना है,
अनुदेशक हित के खातिर ,
हँसते हँसते मर जाना है,
हम सब सौंप रहे थे ज्ञापन पे ज्ञापन,
हमें मिला आश्वासन पर आश्वासन,
अब कोरे आश्वासन में क्या अनुदेशक को,
अब तड़प- तड़प कर मर जाना है,
उत्तर प्रदेश की थाह लगी,
अब दिल्ली की थाह लगाना है,
अनुदेशक हित के खातिर ,
हँसते हँसते मर जाना है,
रोम रोम अब फड़क उठा घुटता है दम,
इस सात हजार में अब जी नही पाते हम,
आर पार के द्वन्द्व में पुरा जान लड़ाना है,
अनुदेशक हित के खातिर ,
हँसते हँसते मर जाना है,
न्यायालय और जज के फेरे,
और तारिक पे तारिक की बातें,
अनुदेशक क्रांति की बेड़ी,
पौरूष को कम कर जाते,
खत्म हो रहे पौरूष को,
हमको अब बचाना है,
उत्तर प्रदेश की थाह लगी,
अब दिल्ली की थाह लगाना है,
अनुदेशक हित के खातिर ,
हँसते हँसते मर जाना है,
तेजस्वी भोला अमिताभ महेन्दर,
तूने जो लहर चलाई है,
मचल उठा हर अनुदेशक,
हर धरना इसकी गवाही है,
बीन शोषण के जीना है तो
संसद तक आवाज उठाना है
उत्तर प्रदेश की थाह लगी,
अब दिल्ली की थाह लगाना है,
अनुदेशक हित के खातिर ,
हँसते हँसते मर जाना है,
अभिनव तुमको जोश जीगर में,
और हर अनुदेशक को जगाना है,
उत्तर प्रदेश की थाह लगी,
अब दिल्ली की थाह लगाना है,
अनुदेशक हित के खातिर ,
हँसते हँसते मर जाना है,
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
By Sandeep