Saturday, September 17, 2016

जागो अनुदेशक जागो

जागो अनुदेशक जागो

           मित्रों, अब समय बहुत कम बचा है।अब इस समय किसी डिबेट में फंसकर नेतृत्व कर्ताओं की टांग खींचने के बजाय आँख मूंदकर ताबड़तोड़ धरना/प्रदर्शन/घेराव करते जाइए।क्या पाया और क्या खोया यह सोचने के बजाय क्या कर पाया और क्या नहीं कर पाया यदि हम इस पर विचार करके आगे बढ़ेंगे तो बचे हुए समय में कुछ हासिल कर लेंगे। सोशल मीडिया पर कुछ जांबाज सिपाही अक्सर देखने को मिल जाते है जिनका काम केवल टांग खींचना ही होता है।धरातल पर उतरकर संघर्ष करने के समय इनका नेटपैक समाप्त हो जाता है।इस काल्पनिक स्थिति से जितनी जल्दी आप उबर जायेंगे उतनी ही तेजी से सफलता की ओर अग्रसर हो जायेंगे।
      चूंकि अब लगातार संघर्ष की अत्यंत आवश्यकता है।यदि हम सब लाठी खानेकी हिम्मत रखते हैं तो मैं संगठन के नेतृत्व कर्ताओं खासतौर पर शुक्ला जी से अनुरोध करूँगा कि घेराव विधान सभा का ही होना चाहिए इसके पीछे मेरे दो तर्क हैं-पहला यह कि परियोजना कार्यालय के घेराव का कार्यक्रम पहले से ही दूसरे संगठन ने लगा रखा है और दूसरा तर्क यह है कि लाठी ही खाना है तो ऐसे जगह से खाया जाए जहाँ से पूरा प्रदेश जान सके और विधान सभा से ज्यादा अच्छी जगह कोई दूसरी नहीं है।
           यह मेरा निजी सुझाव है कि धरनों की सीरीज की इसी समय घोषणा होनी चाहिए।इस समय नेतृत्व कर्ता बिना किसी धरने की उपलब्धि के बारे में सोचे लगातार धरनों की सीरीज बना दें।प्रदेश स्तर पर धरना देने के पहले एक धरना जोरदार तरीके से मीडिया में पूरे प्रचार-प्रसार के साथ सभी जिला मुख्यालय पर जुलूस के साथ जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री जी को ज्ञापन देने तक होना चाहिए।20, 21 या 22 सितंबर भी इसके लिए उपयुक्त समय हो सकता है।इसके बाद पन्द्रह दिन का समय देकर पूरी तैयारी के साथ अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में मंगलवार या बुधवार को विधान सभा का एक बार घेराव हो फिर उसी महीने के अंतिम सप्ताह में मंगलवार या बुधवार को दूसरी बार घेराव हो और नवंबर के दूसरे सप्ताह में तीसरी बार घेराव हो।इन कार्यक्रमों के बीच में संभव हो तो जिला स्तरीय कार्यक्रम लगाकर विधायकों और मंत्रियों का भी घेराव होना चाहिए।
        यह संभव है कि प्रशासन हमारे द्वारा बनाए गये योजना को कार्यरूप में परिणत न होने दे और हम विधान सभा के पास तक पँहुचकर भी उसका घेराव न कर सकें तो पहली बात तो हम लगातार इसके लिए प्रयासरत रहें कि इस बार नहीं तो अगली बार हम उसे घेरने में सफल हो जाएंगे और दूसरी बात हमें जहाँ रोका जायेगा हम वहीं अपने आंदोलन की शुरुआत कर सकते हैं।
      आप सभी अनुदेशक साथियों से भी यह अनुरोध है कि इस समय यह न पूंछते हुए कि इस धरने से हमें क्या मिला बल्कि यह पूंछे कि यह धरना कितना हिट रहा और इसकी खनक कहाँ तक पंहुची,इस बार अगर नहीं पंहुची तो अगली बार जरूर पंहुचेगी।यह समय संगठन के भरपूर सहयोग का है,उसके द्वारा बनाई योजनाओं पर भरपूर विश्वास करते हुए बिना सोचे तेजी से आगे बढ़ने का है।केवल नेताओं की खींचना तो बहुत आसान है लेकिन विश्वास मानिए नेतृत्व करना बहुत कठिन होता है।
    विश्वास बनाए रखिए, सही रणनीति पर सधी हुई चाल से चलते रहिए अभी भी सफलता के लिए पर्याप्त समय है।धन्यवाद।

       भोला नाथ पाण्डेय
           इलाहाबाद
        9936451852